Naimish Darshan
आइये चलते है नैमि श दर्शन को जहां हम आपको बतायेगें और दि खायेगें अनेको रहस्य जो न आप ने कभी सुने होगें और न ही देखे ही होगें परन्तु ये वास्तव में सत्य और प्रमाणित है
Wednesday, January 22, 2014
मां ललिता देवी शक्तिपीठ केवल एक ही शक्तिपीठ जो समतल स्थल पर अर्थात जो पहाडो पर नही है
Saturday, June 13, 2009
सीता जी की मथानी
Monday, February 23, 2009
नैमि षारण्य के पवित्र् तीर्थस्थल
नैमि षारण्य में प्रवाहित होने वाली गोमती का नाम ऋग्वेद एवं ब्राम्हण- ग्रन्थों में मिलता हैंा महाभारत ग्रंथ में गोमती को सबसे पवित्र् नदी बताया गया हैा स्कन्द पुराण के ब्रम्हाखण्डार्न्तगत धर्मारण्य महात्म के प्रंसग में गंगा आदि नदियों के साथ गोमती को पावन माना गया हैा सभी पुराणों में गोमती की महिमा का बखान है, यह वैदिक कालीन नदियों में हैा नैमि षारण्य गोमती के पावन तट पर विद्वमान हैा
कस्यपी गंगा ''साभ्रमती''
प्रथम बार भागीरथ गंगा को प़थ्वी पर लाये थेा दूसरी बार कस्यप ऋषि नैमषि के ऋषियों के निवेदन पर शिव आराधना कर भगवान से गंगा लेकर नैमि ष आये थेा नैमि ष में उसे कस्यपी गंगा कहा गया कस्यपी गंगा को ही साभ्रमती कहा गयाा उक्त कथा पदम पुराण में वर्णित हैा पदम पुराण में वर्णित हैा
काचंनाक्षी गंगा
स्कन्द पुराण के त़तीय खण्ड के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि नैमि षारण्य में आकाश से सरस्वती व गंगा का अवतरण किया था पद्रम पुराण में भी नैमि ष में '' गंगोदभे' का वर्णन हैा वामन पुराण के अनुसार नैमि ष में '' कांचनाक्षी '' सरस्वती का वर्णन मिलता हैा
चक्रतीर्थ
नैमि षारण्य का पवित्र्ाम तीर्थ नैमि षारण्य माना जाता है यहां भगवान प्रजापति के चक्र की नेमि से निर्मित र्तीथ हैा महाभारत के अनुसार पूर्वकाल में यहां पर धर्म चक्र प्रवर्तित हुआ था जिस कारण उसका नाम नैमि षारण्य पदाया
हनुमान गढी
हनुमान गढी का माहात्म्य इस प्रकार है नीमसार की हनुमान गढी का पौराणिक महत्व हैा कहा जाता है कि जब अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को चुरा कर पाताल ले गया तो हनुमान जी ने उन्हें वहां से अपने कंधो पर बैठाकर इसी हनुमानगढी से धरती पर प्रकट हुये थेा यहां पर हनुमान जी की मनोहर प्रतिमा हैा कहते है कि इस प्रतिमा में हनुमान जी दक्षि ण दि शा की ओर रूख किए हैा साथ्ा ही उनके कधों पर भगवान राम और लक्ष्मण भी हैा